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सन 1979 में उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना हुई थी और तभी से उत्तराखंड क्रांति दल पहाड़ों की सेवा के लिए निरंतर प्रयास करता है। 27 जुलाई 2000 को उत्तराखंड मूवमेंट ने एक नया मोड़ लिए था। विगत वर्षो के संघर्ष के बाद जिसमें खटीमा गोली कांड, मसरी गोली कांड, रामपुर मुज्जफरनगर गोली कांड, देहरादून, कोटद्वार, श्रीनगर और नैनीताल गोली कांड मुख्य रूप से शामिल है, आज के दिन उत्तरांचल बिल अर्थात् उत्तरप्रदेश पुनर्निर्माण बिल भारत सरकार द्वारा संसद में पेश हुए था, जो की 1 अगस्त 2000 को लोक सभा में पास हुआ और 10 अगस्त 2000 को राज्य सभा में पास हुआ। राष्ट्रपति श्री के० अर० नारायण की मंजूरी इसे 28 अगस्त 2000 को मिली, जिसके बाद 9 नवंबर 2000 में हमारी देवभूमि उत्तराखंड की स्थापना हुई। उत्तराखंड क्रांति दल ने काफी संघर्ष के बाद इस प्रदेश को बनाया है। वीर क्रांतिकारियों कि मेहनत का नतीजा है ये राज्य।
आज राज्य की स्तिथि पे नज़र डाले, तो हर तरफ लूट, रिश्वत का बोल बाला है। जंगल तबाह हो गए है, सड़कों में सड़क से ज्यादा गड्ढे है, ठेकेदार एक सड़क बनाकर उसकी मरम्मत करके अपनी ज़िन्दगी भर का खर्चा निकाल लेते है, अस्पतालों में डॉक्टर की कमी का खामियाजा हमारी बेचारी जनता, माताएं और बहनें भुगत्ती है, बिजली और पानी का आकाल है पहाड़ों में, शिक्षा के क्षेत्र में देखा जाए तो हमारी शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, शिक्षक का कार्य होता है शिक्षा देना ताकि आने वाली पीढ़ी पे ज्ञान का भंडार हो लेकिन उन्हें दूसरे कार्यों में व्यस्त कर दिया जाता है। पलायन चरम पर है, हमारी देव भूमि विकास की जगह विनाश की ओर अग्रसर है। क्या इसी दिन के लिए हमारे वीर सपूत शहीद हुए थे? क्या इसी दृश्य को देखने के लिए हमने संघर्ष किया था? पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नी अयी। आइए आप और हम मिलकर संघर्ष करे, ताकि इस राज्य को नई दिशा मिले, और प्रगति की ओर अग्रसर हो। उत्तराखंड क्रांति दल के साथ कदम से कदम बढ़ाए, ताकि हम पहाड़ों को बचा सके, अपने उत्तराखंड को बचा सके।